बाल कहानी–गिलहरी और लोमड़

ये कहानी मैने आज ही अपनी बेटी को सुनाते हुये बनायी है। वो सोने से पूर्व प्रतिदिन मुझसे कहानी सुनने का हठ करती है। मैं प्रतिदिन उसे कोई ना कोई कहानी बनाकर सुना देता हूँ ताकि वो सो जाये। मैं पञ्जाबी भाषा में उसे कहानी सुनाता हूँ इस लिये उसे कहानी सुनाते हुये गिलहरी के स्थान पर काटो शब्द का प्रयोग किया था। उसे ये कहानी अच्छी लगी क्योंकि वो टीवी पर गिलहरी के कार्टून भी देखती रहती है।

बच्चों के लिये कहानी अधिक लम्बी ना हो तो अच्छा रहता है तथा उनको अभिनय तथा ध्वनि के उतार-चढ़ाव के साथ कहानी सुनायी जाये तो अधिक रुचिकर लगती है। वो कहानी के भाव तथा सन्देश को अच्छे से समझ पाते हैं।

यदि आपको ये कहानी अच्छी लगे तो आप भी अपने बच्चों को ये कहानी सुना सकते हैं। कोई सुझाव या टिप्पणी देना चाहें तो झिझके नहीं।

बच्चों के लिये कहानी

एक बार की बात है एक गिलहरी थी। वो पाठशाला जाती थी तथा बड़ी सुन्दरता के साथ अपना काम करती थी। वो अपनी माँ का कहना मानती थी तथा उनको कभी सताती नहीं थी। इस लिये उसकी माँ की लाडली थी वो।

पाठशाला में छुट्टियाँ आरम्भ हो गईं। गिलहरी ने अपनी माँ को कहा कि वो अपनी नानी के घर जाना चाहती है जो कि कुछ दूर दूसरे वृक्ष पर रहती थी। उसकी माँ ने उसकी एक छोटी सी पोटली बाँध दी तथा उसे विदा कर दिया।

राह में उसने पोटली में से थोड़ा खाना खाया तथा आगे चलने लगी। तभी उसे एक लोमड़ दिखायी दिया। वो भूखा था पर उसे कुछ भी खाने को नहीं मिल रहा था। उसने गिलहरी से कहा कि वो उसकी पोटली उठा लेगा क्योंकि वो बहुत भारी है तथा वो थक जायेगी। गिलहरी ने मना भी किया परन्तु उसने वो पोटली ले ली तथा उसके साथ-साथ चलने लगा।

गिलहरी से आँख छुपाकर उसने पोटली में बँधा सारा खाना खा लिया। जब गिलहरी की नानी का घर आया तो उसने अपनी पोटली लोमड़ से ले ली। गिलहरी ने देखा कि पोटली में खाना नहीं था। उसने लोमड़ से पूछा पर उसने कह दिया कि उसे कुछ नहीं पता–जैसे गिलहरी ने उसे पोटली दी थी वैसे ही उसने लौटा दी। ये कह कर लोमड़ वहाँ से चलता बना।

गिलहरी ने ये सारी बात अपनी नानी को बतायी। नानी समझ गयी कि ये सब धूर्त लोमड़ की ही चाल है। उसने गिलहरी को गोद में लेकर सहलाया तथा अच्छा खाना खिलाया।

थोड़े दिन नानी के घर बिताने के उपरान्त गिलहरी ने माँ के घर जाने को कहा। नानी ने उसके लिये खाने की पोटली बना दी पर उसमें मिर्ची भरा खाना डाल दिया तथा गिलहरी को कह दिया कि वो पोटली वाला खाना ना खाये। उसके लिये अलग से खाना उसके पेट पर बाँध दिया।

गिलहरी ने अपनी नानी से विदा ली तथा अपनी माँ के घर की ओर चल दी।

रास्ते में उसे पुनः वही लोमड़ मिला तथा उसने पहले की भाँति उसकी पोटली उठा ली। रास्ते में उसने आँख छुपाकर पोटली से खाना निकाल कर खा लिया परन्तु उसकी जीभ जल गई क्योंकि उस खाने में तो मिर्च भरी थी। गिलहरी की नानी ने लोमड़ को पाठ पढ़ाने के लिये ही ऐसा किया था। लोमड़ जलन के मारे छटपटाने लगा तथा गिलहरी से क्षमा माँगने लगा। गिलहरी ने उसे बच्चों का खाना चुराना बन्द करने को कहा। वो कान पकड़कर बोला कि वो ऐसा कभी नहीं करेगा।

तब गिलहरी ने उसे अपने खाने में से मिठाई निकाल कर दी जिससे उसकी जलन बन्द हो गई।

Related Posts

story-in-hindi-for-class-1

Story in Hindi for Class 1 | बाल कहानी बच्चों के लिए | हिंदी में कहानी

कहानी का शीर्षक: काला चूहा, सफेद चूहा एक बार की बात है कि दो मित्र पालतू जानवरों की एक दुकान पर जाते हैं और दो चूहे खरीदते…

Short Moral Story in Hindi for Class 12

शैलजा अब वयस्क अवस्था में आ चुकी थी तथा अपनी व्यवसायिक पढ़ाई को आरम्भ करने कोई नौकरी करने की सोचती थी। उसके मन में बहुत से भाव…

Hindi-story-for-class-3

Short Story in Hindi With Moral for Class 3

Writing stories for kids is not easy–more so in the Hindi language because my working language is English. However, whenever there is some incident or happening that…

hindi-short-story-with-moral-for-class-4

Hindi Short Story With Moral for Class 4

यह कहानी आज से लगभग 30 वर्ष पुरानी होगी। पञ्जाब प्रान्त के एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था। उसका नाम अविनाश था। वो प्रतिदिन…

Story-in-Hindi-for-Class-8-with-Moral

Story in Hindi for Class 8 With Moral

हिन्दी कहानी–परिश्रम तथा प्रोत्साहन यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जो आठवीं कक्षा का छात्र था। उसका नाम ऋषि था। वो बैडमिन्टन खेला करता था तथा…

Short Hindi Story for Class 6 With Moral

Last year, I was in Chennai visiting a friend and we went on the bike to visit some places including the Marina Beach. We went to the Snake…

Leave a Reply