Hindi Poem–अरी सखी Leave a Comment / By Vivek Kumar / March 1, 2016 अरी सखी कौन कहता है तू अबला है तू तो लक्षमी है जो रणचण्डी बनी। तू तो सत्य से भी विचित्र कल्पना है जो अन्तरिक्ष को छू गई। तू तो विपत्ति की दलदल से ऊपर उठकर नीरजा बन कर खिली। अरी सखी तू सबला है। तू निर्भया है। तू प्रबला है। Post Views: 192 Related