Hindi jokes in Hindi

1. विवाह की 10वीं वर्षगाण्ठ पर विवेक की पत्नी ने उससे पूछा: “प्रिय, क्या तुमने कभी ये सोचा है कि मेरा विवाह किसी और से होना चाहिए था?”

विवेक: “नहीं, नहीं, मैं भला किसी को बुरा क्यूँ सोचने लगा?”

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2. पड़ोसन: “विवेक, ये तेरी गेंद है?”

विवेक: “इससे कोई शीशा तो नहीं टूटा?”

पड़ोसन: “नहीं।

विवेक: “हाँ, तब ये मेरी गेंद है।

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3. दन्तचिकित्सक रोगी विवेक से: “यह हाथ नचाना और मुंह बिचकाना बन्द करो। अभी तो मैने तुम्हारे दान्तों को छुआ तक नहीं।

विवेक: “छुआ तो नहीं पर आप मेरे पैरों की उंगलियों पर खड़े हैं।

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4. विवेक अपने एक मित्र से: “मुझे मुद्रा की अधिक आवश्यकता है। कल सांयकाल तक अगर 5000 रुपये नहीं मिले तो मैं विष पी लूँगा। क्या तुम मेरी सहायता कर सकते हो?”

मित्र: “विवेक, क्षमा चाहता हूँ, मेरे पास तो थोड़ा सा भी विष नहीं है।

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5. “जिस नगर में मैं रहता हूँ वहां के लोग अधिक तीव्र हैं। वो तो भवन भी बड़ी तीव्रता से बनाते हैं। वे बीस छतों वाला भवन एक सप्ताह में ही बना लेते हैं।विविक ने कहा।

बस, हमारे नगर में आ के देखो। वहां के लोग तो और भी तीव्र हैं। मैं कार्यालय जा रहा तो कुछ लोग एक विशाल भवन की नींव रख रहे थे। सांयकाल में जब लौटा तो मकान मालिक किरायेदारों को किराया न देने के कारण घर से निकाल रहा था।मित्र बोला।

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6. विवेक और उसका मित्र भोजन करने किसी बड़े भोजनालय में पहुंचे। सामने दो राह थे। एक पर लिखा था शाकाहारी भोजनतथा दूसरे पर लिखा था मासाहारी भोजन

वे पहले राह पर चल पड़े।

अन्दर पुनः दो राह मिले। एक पर लिखा था कुर्सी परतथा दूसरे पर लिखा था धरती पर। वे पहले राह पर चल पड़े।

अन्दर पुनः दो राह मिले। एक पर लिखा था उधारतथा दूसरे पर लिखा था नगद

इसे देखकर उनहोने सोचा कि इस भोजनालय में पुनः पुनः आना होगा तो क्यूँ न उधार कर लिया जाए। ये सोचकर वो दोनों दूसरे राह पर चल दिए।

द्वार पर उनको पता चला कि वो भोजनालय के बाहर खड़े थे और सामने लिखा था। आज नगद कल उधार

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