कविता

Hindi Poem–रोहतक से चलकर रूह तक

कोई था जो रोहतक से चलकर रूह तक आता था अब तो जलने और जलाने के समाचार ही आते हैं।   वो बातें किया करता था मीलों साथ चलने की अब हर मोड़ बन्द है, पक्षी उड़ने से घबराते हैं।   जिससे बात करके सीने में जान आ जाती थी अब वो नहीं पत्रकार ही […]

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Hindi Poem–अरी सखी

अरी सखी कौन कहता है तू अबला है   तू तो लक्षमी है जो रणचण्डी बनी।   तू तो सत्य से भी विचित्र कल्पना है जो अन्तरिक्ष को छू गई।   तू तो विपत्ति की दलदल से ऊपर उठकर नीरजा बन कर खिली।   अरी सखी तू सबला है। तू निर्भया है। तू प्रबला है।

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A poem in Hindi

तुम मेरे नहीं हो सकते ये मैं जानता हूँ। मैं जानता हूँ तुम मेरे नहीं हो सकते। मगर क्या कभी काँटों ने फूलों की तरह नहीं खिलना चाहा? क्या कभी लहरों ने किनारों की तरह नहीं मिलना चाहा? क्या कभी आग को प्यास नहीं लगी या फिर मरने वाले को जीने की आस नहीं लगी?

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