Mahabharata

अर्जुन का अपने ही बेटे बभ्रुवाहन के हाथों वध क्यों हुआ

महाभारत के युद्ध के उपरान्त भी महाभारत ग्रन्थ में ऐसी-ऐसी घटनाओं का वर्णन है जिसे सुनकर आपके रौंगटे खड़े हो जाते हैं। बहुत ही ज्ञान-वर्धक तथा तिलिस्म जैसी जान-पड़ती कथायें पढ़ने को मिलती हैं। ऐसी ही एक कथा मिलती है महाभारत के छठे खण्ड के आश्वमेधिक पर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व के उनासी, अस्सी तथा […]

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युधिष्ठिर ने कैसे जान लिया कि महाभारत युद्ध में कितने सैनिक तथा योद्धा मरे

महाभारत युद्ध में लाखों की संख्या में योद्धाओं तथा सैनिकों की मृत्यु हो गई थी। दोनों पक्षों को ही घोर क्षति पहुँची थी जो कि किसी भी युद्ध का पूर्व अनुमानित अन्त होता है। परन्तु ये प्रश्न सभी के मन में आता है कि लगभग अनन्त संख्या में मरने वालों की संख्या वास्तव में कितनी

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महाभारत के अन्त में मरने वाला योद्धा कौन था

महाभारत का युद्ध भीषण तथा भयङ्कर था। दोनों पक्षों को हानि सहनी पड़ी। असंख्य योद्धा मृत्यु को प्राप्त हो गये। भगवान की माया देखिये कि महाभारत के युद्ध का परिणाम देखने के लिये मुठ्ठी भर योद्धा ही जीवित बचे। आप यत्न करें तो आप अपनी उङ्गलियों पे उनको गिन सकते हैं। पाण्डव पक्ष के लगभग

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महाभारत में विभीषण तथा कुम्भकर्ण की भूमिका किसने निभायी

रामायण व महाभारत ऐसे महाकाव्य हैं जिनसे मानवता को जीवन यापन करने के लिये नीति, कर्तव्य तथा त्याग का बोध होता है। दोनों ही महाकाव्यों में अधर्म की पराजय तथा धर्म की सफलता दर्शायी गयी है। दोनों का घटनाक्रम कुछ ऐसा है कि विभिन्न पात्रों के पास धर्म का मार्ग चुनने के लिये अवसर उत्पन्न

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द्रौपदी के स्वयंवर में कौन कौन से राजा तथा राजकुमार आये थे

महाभारत के प्रथम खण्ड में धृष्टद्युम्न अपनी बहन द्रौपदी को उसके स्वयंवर में पधारे हुये राजा तथा राजकुमारों के नाम ज्ञात करवाता है। इन सभी नामों में आपको पाण्डवों के नाम नहीं मिलेंगे क्योंकि उस समय वो सभी से छिपकर क्षत्रियों का भाँति ना रहकर ब्राह्मण वेष धारण करके रहते थे। केवल श्री कृष्ण ही

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महाभारत काल के जनपदों के नाम

महाभारत के तीसरे खण्ड में सञ्जय धृतराष्ट्र को भारत वर्ष के जनपद जो कि आधुनिक युग में जिला या District के नाम से जाने जाते हैं उनके बारे में बताते हैं। ये कहना यथार्थ होगा कि सम्भवतः उस समय जनपद का अर्थ जिला ना हो कर एक विशाल नगर के समान होता हो। पूर्ण विश्वास

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महाभारत काल की मुख्य नदीयों के नाम

महाभारत के तीसरे खण्ड में सञ्जय धृतराष्ट्र को उस समय की मुख्य नदीयों के नाम बताते हैं। वे इस प्रकार हैं– गङ्गा, सिन्धु, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा, बाहुदा, महानदी, शतद्रू, चन्द्रभागा, महानदी, यमुना, दृषद्वती, विपाशा, विपापा, स्थूलबालुका, वेत्रवती, कृष्णवेणा, इरावती, वितस्ता, पयोष्णी, देविका, वेदस्मृता, वेदवती, त्रिदिवा, इक्षुला, कृमि, करीषिणी, चित्रवाहा, चित्रसेना, गोमती, धूतपापा, महानदी वन्दना, कौशिकी, त्रिदिवा,

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भगवान कृष्ण के विभिन्न नामों का अर्थ तथा व्युतपत्ति

महाभारत के तीसरे खण्ड में धृतराष्ट्र सञ्जय से श्री कृष्ण के नामों के अर्थ तथा व्युतपत्ति के बारे में पूछते हैं तो सञ्जय अपनी सृमिति से ही उन्हें कुछ नामों के बारे में बताते हैं– भगवान् समस्त प्राणियों के निवासस्थान हैं तथा वे सब भूतों में वास करते हैं, इस लिये ‘वसु’ हैं एवं देवताओं

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धनुर्वेद के भेद कौन कौन से हैं

महाभारत के प्रथम खण्ड अनुसार जब कुरु राजकुमार बड़े होने लगे तो उनकी आरम्भिक शिक्षा का भार राजगुरु कृप के पास गया। उन्हीं से कुरु राजकुमारों ने धनुर्वेद की शिक्षा ग्रहण की धनुर्वेद के भेद चार हैं मुक्त्त– जो बाण छोड़ दिया जाये उसे ‘मुक्त्त’ कहते हैं अमुक्त्त–जिस अस्त्र को हाथ में लेकर प्रहार किया

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अर्जुन ने रङ्ग भूमि में कौन कौन से अस्त्रों का संचालन किया ?

ये महाभारत के प्रथम खण्ड से लिया गया है जब कुरु राजकुमार तरुण अवस्था में गुरुकुल में अपनी शिक्षा पूर्ण कर हस्तिनापुर आ गये थे। उनकी विद्या के प्रदर्शन के लिये आयोजित रङ्गभूमि में सभी राजकुमारों ने अपना युद्ध कौशल दिखलाया। ये वही रङ्गभूमि है जहाँ पर कर्ण अर्जुन को चुनौती देता है तथा सभा

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गाण्डीव धनुष का इतिहास

गाण्डीव धनुष का इतिहास बड़ा रहस्यमय है। इसके इतिहास में कई धनुषों का इतिहास छिपा है। यों महाभारत में तो इसके सम्बन्ध में इतना ही कहा गया है कि खाण्डव दाह के समय अग्नि ने उसे वरुण से माँगकर अर्जुन को दिया था (आदिपर्व 225) तथा महाप्रस्थान के समय उसे वरुण को ही वापस करने

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जब आत्मग्लानि से भरकर दुर्योधन ने की आमरण अनशन की प्रतिज्ञा

अनशन करना आधुनिक राजनीतिक प्रतिनिधियों तथा सामाजिक जीर्णता को भङ्ग करने हेतु प्रयासरत कार्यकर्ताओं का बाण नहीं है। अनशन की प्रथा पूर्व काल से ही भिन्न प्रकार के प्रयोजनों के लिये प्रयोग में लायी जाती रही है। एक समय ऐसा भी आया था जब दुर्योधन ने आत्मग्लानि से भरकर आमरण अनशन करने की ठान ली

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The Story of 5 Uncles of Mahabharata

Like a story that we wrote about the four brother couples of Ramayana including Rama-Lakshmana, Vali-Sugriva, Ravana-Vibhishana, and Sampati-Jatayu, we are now trying to figure out the role played by five maternal uncles in the epic Mahabharata. Two of the famous roles Kamsa and Shakuni are well-known to the audience, and they are considered as

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ज्वर की उत्पत्ति कैसे हुई

महाभारत के पञ्च खण्ड में ज्वर की उत्पत्ति का वर्णन आता है। ज्वर की अनुभूति शरीर के तापमान से होती है हमारे जीवन में विश्राम हेतु आता है जब शरीर के किसी अङ्ग या प्रणाली के कार्य में बाधा अथवा व्याधि उत्पन्न होती है। इस लेख से हम जानेंगे कि ज्वर की संकल्पना कैसे हुई।

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द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को अपनी रक्षा हेतु कैसे पुकारा था

परम भक्तिमती द्रौपदी जिनकी गणना महान सतियों में होती है पाण्डवों की पत्नी तथा भगवान श्री कृष्ण की परम भक्त तथा प्रिय थीं। जब हस्तिनापुर की भरी सभा में दुशासन द्वारा अपमानित हो रही थीं और कोई उनकी सहायता हेतु आगे ना आया तो उन्होनें अपने अराध्य तथा परम सखा कृष्ण का ध्यान किया। उनके

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क्या महाभारत के युद्ध का मुख्य कारण महात्मा विदुर थे

महाभारत का युद्ध एक विनाशकारी घटना थी जिसमें भाग लेने वाले लगभग सभी योद्धा मृत्यु को प्राप्त हुये। इस विध्वंस से ना जाने कितने घर उजड़ गये। कितनी स्त्रियाँ विधवा हो गईं तथा कितने बाल अनाथ हो गये। इतिहासकार तो इस युद्ध संसार का सबसे पहला विश्व युद्ध भी मानते हैं। पुरातन काल से इस

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महाभारत तथा महाभारत का युद्ध–दो भिन्न शब्द

बाल्यकाल से ही हमारे मन में ये छवि बन जाती है कि महाभारत का अर्थ वो भयानक युद्ध ही है जिसमें संसार भर के योद्धाओं ने भाग लिया तथा लगभग सभी के सभी मृत्यु को प्राप्त हो गये। सामान्य वार्तालाप में ये कथन प्रायः ही प्रयोग किया जाता है कि वहाँ तो महाभारत चल रही

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क्या आप जानते हैं द्रौपदी का वास्तविक नाम क्या था

महाभारत महाकाव्य के अनेक पात्रों के नाम दन्त कथाओं के प्रचलन से वास्तविक नामों से भिन्न हो गये हैं। कुछ नाम ऐसे हैं जो उन पात्रों के कृत्यों के कारण परिवर्तित हो गये हैं। सुयोधन का नाम दुर्योधन हो गया। सुशासन का नाम दुशासन हो गया। कुछ पात्रों के वास्तविक नाम ज्ञात ही नहीं होते जब

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क्या आप जानते हैं कि पाण्डव भी कौरव ही थे

ये वाक्य स्वतः ही विचित्र सुनाई देता है क्योंकि महाभारत के सन्दर्भ में जो भी कोई वार्तालाप करता है वो पाण्डवों तथा कौरवों में भेद इसी नाम से करता है। सभी ग्रन्थों यहाँ तक कि श्रीमद् भगवद्गीता में भी इस भेद का प्रयोग किया जाता है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि वास्तव में पाण्डव भी

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How Pandavas died in Mahabharata?

Mahabharata is a treatise on Dharmic values. It teaches people how to live life in a way demonstrating the ideals of humanity. The final journey of Pandavas is an interesting episode in The Mahabharata that highlights some ennobling life principles depicted by the different characters we come across. Following the departure of Sri Krishna’s physical

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