pawansingla

Pawan Kumar Singla is a retired English lecturer living in Nabha, Punjab. He has studied B. Sc. (Medical), M. A. (English, Political Science), B. Ed., and has strong interest in Yoga, languages, and Indian traditions. He likes to learn new things in his life (started driving a car when he was 63 and can now type in four languages including Punjabi, Hindi, English and Sanskrit).

विभिन्न मासों में किये जाने वाले शिवव्रतों का विधान

कौन से महीने में कैसे करें शिव व्रत का पालन जो ( मनुष्य ) सत्यवादी तथा जितक्रोध  (क्रोध को वश में किया हुआ) होकर पुष्य  (पौष) मास में (शिवका) विधिवत् पूजन करके चावल, गेहूँ और गोदुग्ध से बने हुये भोजन को केवल रात में ग्रहण करता है; दोनों पक्षों की अष्टमी तिथि में यत्न पूर्वक […]

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जब भगवान शिव ने पार्वती माता के घर जाकर अपनी ही निन्दा की

ब्रह्मा जी कहते हैं – नारद ! मेना और हिमवान् की भगवान् शिव के प्रति उच्चकोटी की अनन्य भक्त्ति देख इन्द्र आदि सब देवता परस्पर विचार करने लगे। तदनन्तर गुरु बृहस्पति और ब्रह्मा जी की सम्मति के अनुसार सभी मुख्य  देवताओं ने शिव जी के पास जाकर उनको प्रणाम किया और वे हाथ जोड़कर उनकी

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शिव पुराण में पेड़ लगाने के लाभ का वर्णन

वातावरण की रक्षा हेतु वृक्ष लगाना, विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक तत्त्वों का अल्प प्रयोग तथा प्रदूषण को बढ़ावा ना देना ये सब आधुनिक जीवन की ही कल्पनायें नहीं है। पुरातन काल से प्रकृति के संरक्षण हेतु चेष्टा की जाती रही है तथा समाज में ऐसे कार्यों को करने की प्रेरणा दी जाती रही है जिससे

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भगवान शिव का नाम पशुपति कैसे पड़ा

असुरों से युद्ध के हेतु महान् दिव्य रथ में, जो अनेक विध आश्चर्यों से युक्त्त था, वेद रूपी अश्वों को जोत कर ब्रह्मा ने उसे शिव को समर्पित कर दिया। शम्भु को निवेदित करने के पश्चात् जो विष्णु आदि देवों के सम्माननीय एवं त्रिशूल धारण करने वाले हैं, उन देवेश्वर की प्रार्थना करके ब्रह्मा जी

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राक्षसी त्रिजटा को पूर्व ज्ञात हो गया था कि लङ्का जलेगी

अशोक वाटिका व्यथित सीता देवी की सेवा में रत विभीषण की पत्नी त्रिजटा ने देवी सीता को साहस बधाँया तथा अपनी पुत्री की भाँति प्रेम दिया। वो जानती थीं कि रावण का विनाश निश्चित है। उनको ज्ञात हो चुका था कि भगवान राम का एक दूत आयेगा जो कि सम्पूर्ण लङ्का को जलाकर दग्ध कर

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जटायु ने कैसे बता दिया था कि राम सीता को रावण से पुनः प्राप्त कर लेंगे

भारतीय ज्योतिष एक शास्त्र से कम नहीं है तथा पूर्ण रूप से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। इस लेख में हम एक ऐसे उदाहरण का वर्णन करेंगे जो कि रामायण काल में हुआ था तथा यथार्थ सत्य सिद्ध हुआ था। भगवान् श्रीरामचन्द्र जी के वनवास के समय रावण ने सीता का अपहरण किया। श्रीरामचन्द्र जी

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भगवान सुर्य का परिवार–पत्नी, पुत्र, तथा पुत्रीओं के नाम

भगवान् सुर्य की दस सन्तानें हैं। विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा (अश्विनी) नामक पत्नी से वैवस्वत मनु, यम, यमी (यमुना), अश्विनीकुमारद्वय और रेवन्त तथा छाया से शनि, तपती, विष्टि (भद्रा) और सावर्णि मनु हुये। भगवान् सूर्य के परिवार की यह कथा पुराणों आदि में अनेक प्रकार से सूक्ष्म एवं विस्तार से आयी है, उसका सारांश यहाँ

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तिथि का, दिन का, ऋतुओं का, युग इत्यादि का आरम्भ कब होता है

तिथि का आरम्भ, वार का आरम्भ तथा दिन का आरम्भ उस स्थानपर् सूर्योदय से होता है। अँगरेजी तारीख का आरम्भ आधी रात से होता है। अँगरेजी वर्ष जनवरी से आरम्भ होता है। विक्रम सम्वत् का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। मास का आरम्भ कृष्ण प्रतिपदा से होता है। पक्ष का आरम्भ प्रतिपदा से

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तिथि किसे कहते हैं

चन्द्रमा की एक कला को तिथि कहते हैं। तिथियाँ 1 से 30 तक एक मास में 30 होती हैं। ये पक्षों में विभाजित हैं। प्रत्येक पक्ष में 15 – 15 तिथियाँ होती हैं। इनकी क्रम – संख्या ही इनके नाम हैं। ये हैं – प्रतिपदा द्वितीया तृतीया चतुर्थी पञ्चमी षष्ठी स्पतमी अष्टमी नवमी दशमी एकादशी

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भारतीय ज्योतिष अनुसार ग्रहों का शरीर के विभिन्न भागों पर प्रभाव

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विभिन्न ग्रह निम्न शरीर रचनाओ को नियन्त्रित करते हैं- सूर्य – अस्थि, जैव-विद्धुत्, श्वसनतन्त्र, नेत्र। चन्द्रमा – रक्त्त, जल, अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ ( हार्मोन्स ), मन। मङ्गल – यकृत्, रक्त्तकणिकायें, पाचनतन्त्र। बुध – अङ्ग-प्रत्यङ्ग-स्थित तन्त्रिकातन्त्र, त्वचा। बृहस्पति – नाडीतन्त्र, स्मृति, बुद्धि। शुक्र – वीर्य, रज, कफ, गुप्ताङ्ग। शनि – केन्द्रिय नाडीतन्त्र। राहु-केतु –

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दिव्य नदी गङ्गा को स्वच्छ रखने का ढङ्ग पुराणों में ही व्याप्त

वर्तमान काल में दिव्य नदी गङ्गा का जल इतना प्रदूषित हो चुका है कि ये सिञ्चायी अथवा कपड़े धोने के लिये भी अयोग्य है। ये वो नदी है जिसके जल को अमृत तुल्य माना जाता है तो जो सर्व पाप विनाशनी मानी जाती है। आधुनिक समय में उद्योगों तथा नगरों के मल से प्रभावित हो कर

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पद्मपुराण अनुसार दिव्य नदी गङ्गा की महिमा

पवित्राणां पवित्रं या मङ्गलानां च मङ्गलम् । महेश्वरशिरोभ्रष्टा सर्वपापहरा शुभा ।। गङ्गा गङ्गेति यो ब्रूयाद् योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेम्यो विष्णुलोकं स गच्छति।। स्नानात् पानाच्च जाह्नव्यां पितॄणां तर्पणात्तथा। महापातकवृन्दानि क्षयं यान्ति दिने दिने।। तपोभिर्बहुभिर्यज्ञैर्व्रतैर्नानाविधैस्तथा । पुरुदानैर्गतिर्या च गङ्गां संसेव्य तां लभेत्।। पुनाति कीर्तिता पापं दृष्टा भद्रं प्रयच्छति। अवगाढा च पीता च पुनात्यासप्तमं कुलम्।। भगवान् शङ्कर के

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भारतीय ज्योतिष विज्ञान के अनुसार कितने प्रकार के महीने होते हैं

सौरमास – इस मास का सम्बन्ध सूर्य से है। पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण सूर्य विभिन्न राशियों को भोगता हुआ प्रतीत होता है। सूर्य एक राशि में जितनी अवधि तक रहता है उस अवधि को एक सौर मास कहा जाता है। राशियों की लम्बाई में अन्तर होने के कारण सौर मास कम-से-कम 29 दिन

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भारतीय महीनों के नाम कैसे पड़े–महीनों का नामकरण

चान्द्र मासों के नाम नक्षत्रों के नाम पर रखे गये हैं। पूर्णिमा को जो नक्षत्र होता है, उस नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम रख दिया गया। चन्द्रमा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को अश्विनी नक्षत्र पर प्रकट हुआ था तथा पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र पर आया। इस कारण प्रथम मास का नाम चैत्र पड़ा।

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भारतीय दिनों के नाम कैसे पड़े–वारों का क्रम कैसे बना

हमारे ऋषि-मुनियों ने ठोस वैज्ञानिक आधार पर सप्ताह के वारों का क्रम निर्धारित किया है । पृथ्वी और सूर्य से घनिष्ठ सम्बन्ध रखने वाले सात ग्रहों की कक्षाओं के अनुसार सात वार निश्चित किये गये हैं, जो सम्पूर्ण विश्व में प्रचलित हैं। वार शब्द ( वासर ) दिन का ही संक्षिप्त रूप है। एक अहोरात्र

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हिन्दी सीखें–प्रमुख विराम-चिह्न

Punctuation marks in Hindi (प्रमुख विराम-चिह्न) पूर्ण विराम – वाक्य के समाप्त होने पर यह चिह्न लगाया जाता है। इससे वाक्य के पूर्ण होने का बोद्ध होता है। जैसे – रवी सो गया है। अब कल सवेरे मिलना। सूर्योदय से पूर्व उठना सेहत के लिए लाभकारी है। अल्प विराम – वाक्य में जहाँ थोड़ा रुकना

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हिन्दी सीखें–विराम-चिह्न (Punctuation Marks)

विराम-चिह्न (Punctuation Marks) वाक्य के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए जो चिह्न लगाये जाते हैं, उन्हें विराम-चिह्न कहा जाता है। ‘विराम’ का अर्थ है ‘रुकना’। आवश्यकता के अनुसार रुकना आवश्यक भी हो जाता है। ध्यानपूर्वक देखने से नीचे दी गई दो उदाहरणो से वाक्य के पृथक-पृथक अर्थ स्पष्ट हो जाते हैं। जैसे- रुको, मत खाओ। रुको मत,

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जीवन जाच

जीवन जीने की कला ही जाच है। इसमें सुख-दु:ख, जय-पराजय और लाभ-हानी समान चलते हैं। भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है- ‘सुखदु:खे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ’। वाल्मीकि रामायण में लिखा है- ‘दुर्लभं हि सदा सुखम्’। महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है- तुलसी इस संसार में, सुख दु:ख दोनों होय। ज्ञानी काटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।।

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अर्थ के आधार पर वाक्य-भेद

अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होते हैं। जो निम्नलिखित हैं- विधिवाचक – जिस वाक्य में किसी कार्य का करना या होना सामान्य रूप से प्रकट हो, उसे विधिवाचक वाक्य कहा जाता है। जैसे – शाम हाॉकी खेल रहा है। वह एक अच्छी लड़की है। आज्ञार्थक – जिस वाक्य में आज्ञा, प्रार्थना अथवा

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